मैगी' नूडल्स पर बैन और भारतीय बाजार से इसे वापस लेने की घोषणा के बीच नेस्ले इंडिया का अनुमान है कि नष्ट की जाने वाली मैगी की कीमत 320 करोड़ रुपये है. कंपनी ने सोमवार को कहा कि इसके अधिकतर हिस्से का उपयोग सीमेंट फैक्ट्रियों में ईंधन के रूप में हो रहा है.
कंपनी ने कहा कि उत्पाद बाजार से वापस लिए जाने की यह कवायद भारतीय खाद्य उद्योग में सबसे बड़ी कवायद है. नेस्ले के भारतीय कारोबार के कार्यकारी उपाध्यक्ष लुका फिचेरा ने हरियाणा में कहा, 'बाजार से वापसी की यह प्रक्रिया बेहद जटिल है और नेस्ले के इतिहास में सबसे बड़ी भी है.' उन्होंने कहा कि पांच जून को जब 'मैगी' की वापसी का फैसला किया गया था तब बाजार में 27,420 टन मैगी थी'
उन्होंने बताया कि देश में नेस्ले की आठ फैक्ट्रियों में से पांच में 'मैगी' का उत्पादन होता है. कंपनी के 38 वितरण चैनल हैं. देशभर में 1,400 वितरकों को 'मैगी' बेची जाती है. उसके बाद उत्पाद दूसरे वितरकों या खुदरा दुकानों को बेचे जाते हैं. नेस्ले इंडिया ने कहा कि बाजार से 210 करोड़ रुपये मूल्य की मैगी वापस लेकर नष्ट की जा रही है और इसके अतिरिक्त 110 करोड़ रुपये का तैयार या संबंधित माल फैक्ट्री और वितरण केंद्रों में पड़ा हुआ है.
नौ जून से जारी है जलाने का काम
कंपनी के वितरकों ने शनिवार तक 5,848 टन 'मैगी' नूडल वापस ले लिए थे. इनमें से 5,635 टन नूडल वितरण केंद्रों पर पहुंच चुके थे और जहां से अब तक 169 टन जलाए जा चुके हैं. जलाने की प्रक्रिया नौ जून से जारी है. फिचेरा ने कहा, 'माल को ईंधन के रूप में जलाने की यह प्रक्रिया पर्यावरण अनुकूल है.' अभी पांच भट्ठियों की 700 टन मैगी नूडल जलाने की क्षमता है और 27,420 टन मैगी को जलाने की प्रक्रिया कम से कम 40 दिनों तक चलेगी.