सुब्रत रॉय सहारा ऊर्फ 'सहाराश्री' को तिहाड़ पहुंचे एक साल पूरा हो गया है। तिहाड़ से निकलने के लिए सुब्रत अब तक 9 बार जमानत अर्जी दाखिल कर चुके हैं, लेकिन उनका बाहर आना अभी मुश्किल ही लग रहा है। आज हम आपको बता रहे हैं कि उनके पुराने दिनों से लेकर तिहाड़ तक का सफर कैसा रहा। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के पुराने लोग बताते हैं कि सुब्रत रॉय एक जमाने में बिस्किट और नमकीन बेचा करते थे। वह भी लंब्रेटा स्कूटर पर। आज यह स्कूटर कंपनी मुख्यालय में रखा हुआ है। एक समय ऐसा था कि रॉय को उनका व्यापार शुरू करने के लिए एसबीआई ने पांच हजार रुपए का लोन देने से मना कर दिया था, लेकिन एक मित्र के साथ छोटी सी चिट फंड कंपनी शुरू की। इसके बाद शुरू हुई सफलता की कहानी।
‘सहाराश्री’ रॉय का पद ‘मैनेजिंग वर्कर’ का है। वे मैनेजिंग डायरेक्टर कहलाना पसंद नहीं करते। 80 के दशक में वे निवेशकों से प्रतिदिन पांच से दस रुपए निवेश करने को कहते थे। कम रकम होने की वजह से लाखों की संख्या में निवेशकों ने पैसा लगाया। जिससे रॉय की संपत्ति और कंपनी बढ़ती चली गई। लेकिन, ये सफर नवंबर 2013 में आकर थम गया, जब सेबी ने निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने पर सहारा समूह के बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया।
डेढ़ लाख करोड़ का था सहारा
पिछले साल जेल जाने से पहले सहारा समूह कुल डेढ़ लाख करोड़ का ग्रुप था। इनमें प्रमुख रूप से...
=> 4799 ऑफिस, होटल और मॉल्स।
=> 12 लाख कर्मचारी और कार्यकर्ता।
=> 10 से ज्यादा क्षेत्रों में है कारोबार।
=> 2010 में लंदन में 3500 करोड़ रुपए में होटल ग्रॉसवेनॉर हाउस खरीदा।
=> 2012 में न्यूयॉर्क में 3100 करोड़ रुपए में प्लाजा होटल खरीदा।
=> 2012 में ही न्यूयॉर्क में 1200 करोड़ रुपए में ड्रीम होटल खरीदा।
=> मुख्यालय लखनऊ में। 200 से ज्यादा एकड़ में सहारा शहर भी।



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