योग दिवस समारोहों को लेकर बड़ा विवाद छिड़ने के कुछ महीनों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि 'ऊँ' का उच्चारण भी देश में विवाद का कारण बन सकता है. पीएम ने कहा कि वैचारिक धरातल पर कई उतार चढ़ाव हैं.
गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के डिजिटल संस्करण को जारी करते हुए मोदी ने इस बात पर हैरत जताई कि क्या इस महाकाव्य पर भी कोई विवाद हो सकता है. हालांकि अभी तक ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, 'हमारे देश में कई उतार चढ़ाव आए हैं. वैचारिक धरातल पर भी कई उतार चढ़ाव आए हैं. आज कोई ऊँ बोल दे तो हफ्ते भर विवाद चलते हैं कि 'ऊँ' कैसे बोला जा सकता है.' मोदी ने अपनी इस टिप्प्पणी को अधिक विस्तार नहीं दिया. उनकी यह टिप्पणी योग दिवस समारोह के कई महीनों बाद आई है.
'जाने कौन तूफान खड़ा कर दे'
गौरतलब है कि 21 जून को मनाए गए योग दिवस समारोह में कई मुस्लिम समूहों ने कहा था कि वे इसमें भागीदारी नहीं कर सकते क्योंकि उन्हें 'ऊँ' का उच्चारण करना पड़ता है जो हिन्दुत्व से जुड़ा है. प्रधानमंत्री ने कहा, 'ऐसे देश में रामचरितमानस पर किसी ने सवाल नहीं किया. वो आज भी चल रहा है. हो सकता है कि आज के बाद किसी का ध्यान जाएं और तूफान खड़ा कर दे. मैं नहीं जानता.
प्रधानमंत्री ने 22 साल से अधिक समय तक इस महाकाव्य की लगातार रिकॉर्डिंग करने के लिए आकाशवाणी की सराहना की. रामचरितमानस की सराहना करते हुए पीएम ने कहा, 'हजारों वर्ष से हमारी विशिष्टता हमारी पारिवारिक प्रणाली रही है जो विश्व में दूसरों के लिए ईर्ष्या का कारण हो सकती है. इस प्रणाली में प्राण फूंकने के लिए किसी एक ने बड़ी भूमिका निभायी है तो वह रामचरितमानस और भगवान राम का पारिवारिक जीवन है. भगवान राम पारिवारिक जीवन का दैदीप्यमान उदाहरण हैं.
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